शिल्पीजी के इन विचारों से यह लगता है कि गांधी-नेहरू राष्ट्रनायक न होकर एकता कपूर के सीरियल के कोई कलाकार थे जो तमाम दूसरे लोगों को अपने रास्ते से हटाने की जुगत में ही लगे रहे। गांधी-इरविन समझौते में गांधी के न अड़ने की बात कहकर वे पता नहीं क्या साबित करना चाहते हैं उस समय की परिस्थितियां क्या थीं यह हम केवल इतिहास के अध्ययन से जान सकते हैं।
मुझे नहीं मालूम कि अनूप जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का कितना और किस दृष्टि से अध्ययन किया है। जहाँ तक मेरी बात है, मैंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और उसमें विशेषकर गाँधी, नेहरू, सुभाष और भगत सिंह की भूमिका का अध्ययन करने के लिए काफी समय लगाया है। इस विषय से संबंधित दर्जनों पुस्तकों और सैकड़ों दस्तावेजों के विशद अध्ययन के दौरान जो बातें मेरे सामने अधिक से अधिक स्पष्ट होती गई हैं, उनके आधार पर प्रसंगवश कुछ बातों का जिक्र मैंने कर दिया था। मेरा उक्त दृष्टिकोण मेरे स्वतंत्र अध्ययन पर आधारित है और ज्यों-ज्यों इस विषय पर मेरा अध्ययन बढ़ता गया है, मेरी धारणा प्रबल होती गई है।
पिछले कुछ अरसे से मेरे अध्ययन के केन्द्र में नेताजी रहे हैं। दस वर्ष पहले भी मैंने नेताजी पर कुछ अध्ययन किया था और आजाद हिन्द फौज में काम कर चुके कई स्वतंत्रता सेनानियों से जाकर मिला भी था। उसके आधार पर मैंने नेताजी के संबंध में एक लेख भी तैयार किया था, लेकिन किसी संपादक ने उसे छाप सकने का जोखिम उठाना मंजूर नहीं किया। इंटरनेट जैसे माध्यम उस वक्त मेरी पहुँच से बाहर थे और ब्लॉगिंग का तो तब आविष्कार भी नहीं हुआ था। लेकिन पिछले वर्ष जब मुझे नेताजी के कथित रूप से लापता हो जाने की जाँच पर जस्टिस मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट और उनके निष्कर्षों को पढ़ने का मौका मिला, तब मुझे एक बार नए सिरे से नेताजी से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों की तह में जाना जरूरी लगा। कनाट प्लेस में किताबों की कई छोटी-बड़ी दुकानों और दिल्ली के कुछ अच्छे पुस्तकालयों में उपलब्ध नेताजी से संबंधित किताबों को मैंने छान मारा। इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री को भी टटोला। इस क्रम में सबसे अधिक महत्वपूर्ण था अनुज धर की किताब बैक फ्रॉम डेड : इनसाइड दि सुभाष बोस मिस्ट्री के हाल ही में जारी दूसरे संस्करण का अध्ययन और उनसे कई दौर में हुई ऑनलाइन और टेलीफोन पर बातचीत। वह पिछले कई वर्षों से नेताजी से संबंधित तथ्यों के अध्ययन में जुटे रहे हैं और उनकी वेबसाइट मिशन नेताजी पर इस विषय से संबंधित काफी सामग्री उपलब्ध है। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत नेताजी से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को हासिल करने के लिए हाल ही में एक अभियान भी शुरू किया है।
आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का 112वाँ जन्म दिन है। उनके जन्म-दिन को हमलोग देशप्रेम दिवस के रूप में मनाते हैं। वह भारत माता के सबसे महान देशभक्त सपूत हैं। महात्मा गाँधी ने उनको देशभक्तों के देशभक्त की संज्ञा दी थी। सत्ता-लोलुप नेहरू और भारतीय लोकतंत्र के शाही परिवार के उत्तराधिकारियों की तमाम नापाक कोशिशों के बावजूद नेताजी के प्रति भारतीय जनमानस में आस्था और आदर का भाव लगातार बढ़ता ही गया है। ‘अर्जुन’ को भले ही ‘कृष्ण’ का सतत संरक्षण और आशीर्वाद मिला हो, लेकिन जनता के दिलों में ‘रश्मिरथी कर्ण’ का जो स्थान रहा है वह ‘अर्जुन’ को कभी नसीब नहीं हो पाएगा।
साभार सृजन शिल्पी