सांस्कृतिक प्रतिनिधि, इलाहाबाद : माघ मास का दूसरा मुख्य स्नान मकर संक्रांति 14 जनवरी को है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर पहंुचेगे। सूर्य मकर राशि में दिन के 12 बजकर 06 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मकर राशि का स्वामी शनि है। इस प्रकार सूर्य और शनि के बीच विरोध होने के बावजूद माघ मास पर्यत पिता और पुत्र अर्थात सूर्य और शनि के बीच मधुर संबन्ध बने रहेंगे। इस मिलन वेला की शुभ घड़ी में गंगा में एक डुबकी और एक मुट्ठी तिल का दान पिता-पुत्र को प्रसन्न करेगा। ऐसा ज्योतिर्विदों का मानना हैं। मकर संक्रांति पर स्नान दान की महिमा शास्त्रों में प्रतिपादित है। इस दिन खिचड़ी, तिल, गुड़, अन्न,मोदक, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि तिल सहित स्नान करने से धनधान्य में बढ़ोत्तरी होती है। श्री धर्म ज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य देवेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि मकर संक्रान्ति का पुण्य काल दोपहर 12.06 से सूर्यास्त तक रहेगा। इस समयावधि में स्नान, दान अधिक फलप्रद होगा। उन्होंने बताया कि चूंकि संक्रांति मध्याह्न व्यापिनी है अत: मुहूर्त चिंतामणि, देवी पुराणादि के अनुसार शूद्रों को सुख व ब्राह्मणों को कष्टकारी होगा। प्रात: व्यापिनी संक्रांति राजा को नुकसान पहंुचाती है तो अपराह्न व्यापिनी संक्रांति वणिक वर्ग को। रात्रि व्यापिनी संक्रांति शूद्रों को नुकसान पहंुचाती है। ज्योतिर्विद् आदित्य कीर्ति त्रिपाठी ने कहा कि मकर संक्रांति माघ मास में मघा नक्षत्र होने के कारण विशेष फलदायी हो गई है। मघा नक्षत्र शाम को 4.45 मिनट तक रहेगा। ग्रह नक्षत्रम् ज्योतिष शोध संस्थान के निदेशक आशुतोष वाष्र्णेय का कहना है कि काला तिल, काला वस्त्र का दान तथा पवनसुत हनुमान व शनिदेव की आराधना करनी चाहिए। इस दिन स्नान-दान, जप तप व ध्यानादि से प्रतिकूल परिस्थितियां और फल भी अनुकूल हो जाते हैं। सूर्य और शनि की समीपता का प्रभाव नक्षत्रानुकूल भी बताया गया है। मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी में जन्मे जातक यात्रा का सुख उठायेंगे। जबकि हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा नक्षत्रों वाले सांसारिक सुख का योग बनेगा।
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